दसग्रीव यहाँ पे मर जाएँ,
सब अवगुण मेरे हर जाएँ ,
पुतले को जला दिया मैंने ,
पर मन में तो लंका बैठी है ...
क्या सच में रावण दहन किया ?
मन में ये शंका बैठी है ...
क्या सच में रावण दहन किया ?
मन में ये शंका बैठी है ...
माता का हरण करे कोई,
तो क्यों न अज्ञानी कहलाये,
पर जो अग्नि के सम्मुख करे उन्हें,
फिर वो क्यों ज्ञानी कहलाये ?
आधा मैला आधा पावन ,
छब्बीस गुण और अवगुण बावन ,
सब में राम है सब में रावण ...
सब में राम है सब में रावण ..
सब अवगुण मेरे हर जाएँ ,
पुतले को जला दिया मैंने ,
पर मन में तो लंका बैठी है ...
क्या सच में रावण दहन किया ?
मन में ये शंका बैठी है ...
क्या सच में रावण दहन किया ?
मन में ये शंका बैठी है ...
माता का हरण करे कोई,
तो क्यों न अज्ञानी कहलाये,
पर जो अग्नि के सम्मुख करे उन्हें,
फिर वो क्यों ज्ञानी कहलाये ?
आधा मैला आधा पावन ,
छब्बीस गुण और अवगुण बावन ,
सब में राम है सब में रावण ...
सब में राम है सब में रावण ..