उसपे चढ़ कर चाँद को जाएँ ,
पीछे से हम घर कर लेंगे ,
चाँद को झोले में भर लेंगे...
हमने तिकड़म खूब भिड़ाया,
पर चाँद हमारे पकड़ न आया ...
अब जब चाँद हमारे पकड़ न आया ,
हमने कोरे कागज़ कलम चलाया ,
श्वेत रंग से सने थे पन्ने ,
पर श्वेत पन्नों में नज़र न आया ...
फिर हमने मलिन लेखपत्र सा खोला,
बड़े ध्यान से उसे टटोला ...
फिर हमने फेंकी काली स्याही,
बिन बात के फैली हर तरफ तबाही ...
श्वेतपत्र भी मलिन हुआ फिर ,
स्याह-छींट बन गयी गवाही ...
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