Friday, October 16, 2015

कुछ रिश्ते दीवार पे टांगे थे ...


धीमी सी आंच पे जलते जलते
अब सारे शीश पिघल आये...
कुछ रिश्ते धागों मे बांधे थे,
अब धागों में गाँठ निकल आये...

इस जीवन आपा धापी में
हम मीलों मील निकल आये ...
कुछ रिश्ते दीवार पे टांगे थे ,
अब उनके कील निकल आये ...

ये युद्ध नहीं प्रलय होगा ...


नारायण शीतिकंठ युद्ध में,
कैसे कोई भी विजय होगा ...?
क्या नारायण के चक्र से ही निर्णय होगा ?
या नारायण को भी शूलपाणि का भय होगा?
हे नारद; ये युद्ध नहीं प्रलय होगा ...
-ब्रह्मदेव

अब धरा ना ऐसे वीर दे ...


था अधर्म तब वहाँ,
जब लगी थी कोई दाँव पे,
था अधर्म कि सब पड़े,
ले के मौन-बेडी पाँव में ...

प्रण से बाध्य भीष्म-द्रोण ,
मूक देखते रहे ,
जब ज्येष्ठ द्यूत में वहाँ,
प्रण के पास फेंकते रहे ...

जो कुलवधू को चीर दे ,
वो प्रण ही क्या जो पीड़ दे,
जिस प्रण में ना करुण बसा,
अब धरा ना ऐसे वीर दे ...
अब धरा ना ऐसे वीर दे ...

पर छल से बन जाऊं न वीर ...


स्वीकार्य मुझे है मल शरीर,
पर छल से बन जाऊं न वीर,
क्या फिर से दान कवच होगा ,
क्या फिर चुप्पी साधे सच होगा ?
क्या रण में वीरों का भय होगा,
या रण भी चौसर से तय होगा ?
- अर्जुन

क्या सूत-पुत्र का भय तुमको ,
तुम क्यों व्याकुल हो मित्र यहाँ,
गांडीव जीते या विजय धनुष,
बन जाएगा चलचित्र यहाँ ,
जब फैलेगा रक्त-इत्र यहाँ ...
फिर कर्ण जीते या पार्थ यहाँ,
फिर जीतेगा पुरुषार्थ यहाँ ...
- कृष्ण

है विधि का विधान ये ...


है विधि का विधान ये ,
है आज कर्ण-दान ये,
फिर भी ना छीन पाओगे,
हे इन्द्र! युद्ध ज्ञान ये...

क्षीण सूत-पुत्र से ,
क्षत्रिय का गुमान ये,
था कवच ये कर्ण-चर्म,
पर अब हुआ है मान ये,
ना दया का पात्र इन्द्र-पुत्र,
हे इन्द्र ! अब रहे ये ध्यान ये ...
- कर्ण

ये संचार-माध्यम भी आजकल कमाल करता है ...


ये संचार-माध्यम भी आजकल कमाल करता है ,
कभी मोदी ,
कभी केजू ,
तो कभी राहुल बाबा से सवाल करता है ...

करोड़पति के घपले छोड़,
सौ टके पे बवाल करता है...
अंधे को लूला , लूले को लंगड़ा,
और लंगड़े को बेहाल करता है ...

और जहाँ कोई क्रांतिकारी पैदा हुआ नहीं,
कि उसकी नीयत पे सौ सौ सवाल करता है ...
बैताल को बिक्रम और बिक्रम को बैताल करता है ...
लहू को बेरंग और नीर को फिर लाल करता है ...
जी हाँ हुज़ूर ये संचार माध्यम भी कमाल करता है ...

जी हाँ हुज़ूर ये संचार माध्यम ,
कभी तिल का ताड़ तो कभी बाल की खाल करता है ...
बिके हुए लोगों के खड़ी मिसाल करता है ...
सत्य को असत्य और असत्य को मालामाल करता है ...
कभी दाल में काला और कभी काले में दाल करता है ...
जी हाँ हुज़ूर ये संचार माध्यम भी कमाल करता है ...