Friday, July 29, 2016

फेसबुक देशभक्ति ...


आधे राजनीतिज्ञ सत्ता के नशे में झूमते हैं ,
और बाँकी आधे फेसबुक पे घूमते हैं ...
नीतियाँ चाहे भारतवर्ष की हो अमरीका की,
नुक्ताचीनी करने का न कोई मौका चूकते हैं ...
अपनी सारी अंग्रेजी फेसबुक पे ही थूकते हैं ...

जितने देशभक्त आज़ादी की लड़ाई को पैदा नहीं हुए ,
उस से ज्यादा तो फेसबुक के आने पे पैदा हो चुके हैं ...
उन्हें लगता है की वो देश के सभी उलझनों को सही कर चुके हैं,
जबकि अपनी विशेष टिप्पणियों से वो सबके दिमाग का दही कर चुके हैं...
कुछ को लगता है की भगवान् या रब बन चुके हैं ...
और बाकियों को लगता है की वो अरनब बन चुके हैं ...

फेसबुक देशभक्त अपनी खोखली दलीलों से भक्तों की मरहम-पटट्टी कर रहा है ...
और उसे प्रतीत होता है की इन्ही दलीलों की वजह से देश तरक्की कर रहा है...
देशभक्तों को छोड़ दो तो बचे ही कौन ,
आशिक , बीमार , उल्लू और लाचार ...
इनसे देश को तो रत्ती भर भी खतरा नहीं है ,
क्यूंकि इनमें फेसबुक देशभक्ति का एक भी कतरा नहीं है ...
क्यूंकि इनमें फेसबुक देशभक्ति का एक भी कतरा नहीं है ...

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