Monday, April 28, 2014

बेटा तुमसे ना हो पायेगा ...


कॉलेज खतम हुआ नहीं की,
बाबूजी सिर चढ़ कर बोले,
अब तुम सीना तान खड़े हो,
और जिम्मेदारी के झेलो गोले,

हमने कहा पिताजी देखो,
हम हैं थोड़े अलग किस्म के,
बड़े बड़ों से टक्कर लेंगे,
खूब पिलायेंगे हम पानी,
और कुछ सालों में अपने पीछे ,
होंगे टाटा और अंबानी

उनकी मुख खुली रह गयी,
फिर धीरे से ऐनक खोले,
बेटा भांग चढ़ गयी क्या ?
जा अब थोड़ा सा सो तू सो ले ...

तूने सोच लिया भी कैसे,
अब टाटा तेरे गुण गायेगा ...
और अपने घर के बाहर तू ,
अंबानी को पायेगा ...

पगले ऐसा बोल के तू क्या ...
आंखों में आँसू लायेगा ,
तुझको ले कर बड़े स्वप्न थे,
इक दिन सरकारी दफ्तर में तू,
हेड-क्लर्क की तख्ती पायेगा,
पर सुन कर तेरी चिकनी बातें ,
अब मुझको ये समझ आ गया,
बेटा तुमसे ना हो पायेगा ...
बेटा तुमसे ना हो पायेगा ...

अब माँ ने फिर राग अलापा,
पापा तो यूं ही कहते हैं ,
मैं कहती हू कॉलेज में तू,
हर कोर्स में इक्का पायेगा ,
मेरा लाल बड़ा होकर,
बिल गेट्स से आगे आयेगा ...

सुनकर माँ की ऐसी बातें,
आँखों ने ये दृश्य घुमाया,
चौथी बार मा १२० में,
मुश्किल से ही डिक्का पाया ,
ए-टी कुण्डू पूछो ही मत,
उनको ऑडिट विथ्ड्राव करवाया ...

अब माँ बेटे का प्यार देखकर ,
बाबूजी थोड़ा घबराये ,
हमको लगा सही वक़्त पर,
माँ ने अपने झंडे फ़हराए ....

फिर माँ ने कुछ ऐसा पूछा,
हमको बड़े पसीने आये ...

माँ ने बोला शादी कर ले,
बेटा अब तू बड़ा हो गया,
सूंघ गया फिर साँप मुझे,
रोआँ रोआँ खड़ा हो गया ...

मैने कहा हे मम्मी तुमको,
ये अकस्मात् क्या कीड़ा आया,
पल दो पल में तुमने मुझको,
गेट्स से बीवी-नौकर बनवाया ...
मैं पका आम नहीं कच्चा हूं,
उम्र हो गयी ३५ पर,
मैं तो छोटा सा बच्चा हूं,
मैं तो ऐसे ही अच्छा हूं ...

मैं समझ गयी बेटा अब तुमको,
अब क्या मेरी भी सुनता जायेगा ?
घर अबकी जो आये मार्क्‍स फिर ,
तू छिपा नहीं फिर पायेगा ...
अबकी बार कहीं रहे तू,
पाप नहीं धो पायेगा,
बेटा तुमसे ना हो पायेगा ...
बेटा तुमसे ना हो पायेगा ...


1 comment:

Chitrarath said...

A gud one dear poet.. (Y)
:D