Friday, January 02, 2015

ओ री मेरी प्यारी मैया ...


लाड ना देना,
प्यार ना देना,
तुम ना देना पुचकार ,
पर कोख में मुझको,
जनम से पहले,
ओ री मेरी प्यारी मैया,
तू मुझको ना मार ...
अन्न ना देना,
जल ना देना,
पर ना करना तुम ऐसा मैया,
की तुम मुझको कल ना देना,
बाबा कहते हैं ना हरदम,
भैया के घर में आने से,
उनका चलेगा अब घर बार,
मैया मुझको भी एक मौका दे दे,
मैं भी छोटे पंख लगाकर,
करूँगी उनके सपनों का विस्तार ...
पर ओ री मेरी प्यारी मैया,
जनम से पहले,
तू मुझको ना मार ...
मैं पड़ी रहूँगी कोने मे,
हरदम एक बिछौने में ,
तू अपने हाथ ना मैले करना ,
मेरे कपड़े धोने में ...
पर तेरी एक हँसी को मैया ,
मैं रहूँगी हरदम ही तैयार ...
पर ओ री मेरी प्यारी मैया,
जनम से पहले,
तू मुझको ना मार ...
हर जनम में मेरी चाह यहीं,
की मैं तुझसे ही लूँ अवतार ...
पर मुझको ये डर है मैया ,
की मुझको बाबा बेच ना दें ,
की मेरा ना हो फिर व्यपार,
की दुनिया में बहुत बड़ा बाज़ार ...
ऐसा ही होना है तो ,
तो ओ री मेरी प्यारी मैया,
जनम से पहले ,
कोख में अपने ,
तू मुझको दे मार ...
की तेरा बहुत बड़ा आभार ...
कि मैं हूँ नहीं कोई व्यापार ...
कि मैं हूँ नहीं कोई व्यापार ...

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