Friday, October 16, 2015

कुछ रिश्ते दीवार पे टांगे थे ...


धीमी सी आंच पे जलते जलते
अब सारे शीश पिघल आये...
कुछ रिश्ते धागों मे बांधे थे,
अब धागों में गाँठ निकल आये...

इस जीवन आपा धापी में
हम मीलों मील निकल आये ...
कुछ रिश्ते दीवार पे टांगे थे ,
अब उनके कील निकल आये ...

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