Friday, October 16, 2015

है विधि का विधान ये ...


है विधि का विधान ये ,
है आज कर्ण-दान ये,
फिर भी ना छीन पाओगे,
हे इन्द्र! युद्ध ज्ञान ये...

क्षीण सूत-पुत्र से ,
क्षत्रिय का गुमान ये,
था कवच ये कर्ण-चर्म,
पर अब हुआ है मान ये,
ना दया का पात्र इन्द्र-पुत्र,
हे इन्द्र ! अब रहे ये ध्यान ये ...
- कर्ण

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